मन्नतों की कोई जैसे बारात है।
हर-तरफ़ देखो खुशियों की बरसात है।
ईद के चाँद की चांदनी में सनम।
भीग कर आज चन्दन हुआ मेरा तन।
तर बतर हो गया खुश्बुओं से जहाँ..
मेरा रंगने लगा तेरी चाहत में मन।
घिर गया बादलों से भी दिल का गगन.
हर-तरफ़ देखो खुशियों की बरसात है।
मन्नतों की कोई जैसे बारात है।
इश्क़ की रागिनी गा रही है हवा।
मोहब्बत के सुर भी मिलाए फ़िजा।
तुम मिले तो महकती हैं तनहाइयाँ
झूमती गाती फिरती हैं परछाइयाँ।
अब न रखना कोई फ़ासला दरमियाँ!
मेरी चाहता का देना मुझे तुम सिला।
रोशनी से यूँ जीवन भी भर जाएगा!
मोहब्बत का बन जाएगा काफ़िला।
ये ख़ुदा की कोई मुझको सौग़ात है।
हर-तरफ़ देखो खुशियों की बरसात है।
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©दिव्यांशु पाठक
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