Saturday, February 29, 2020

साथिया

दोस्ती और इश्क़ का शानदार आगाज़ है 
ये तो तमाम रिश्तों की जानदार आवाज़ है !
"साथिया" महज़ एक जज़्बाती शब्द ही नहीं
रूह में वफ़ाओं को शामिल कर लेने का रियाज़ है !

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भावों की मुट्ठी।

 हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...