संस्कृति और संस्कार का ज्ञान वक़्त के माध्यम से आ सकता है क्या?
एक बेहतर शिक्षक अपने द्वारा दिये गए शानदार प्रशिक्षण से ही साधारण प्रतिभा को निखार सकता है।
सोचिये-- चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य वक़्त के हाथों सीखने छोड़ देते तो क्या आज हम एक महान सम्राट के बारे में पढ़ रहे होते!
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वक़्त और ज़िन्दगी हमें स्वाभाविक ज्ञान और पिछले किये गए अपने कर्मों के अर्जित प्रतिफलों को अनुभव के आधार पर भविष्य के लिए बेहतर करना सिखा सकता है लेकिन जीवन भर हमें अपने शिक्षकों के द्वारा प्राप्त ज्ञान ही मार्ग दिखायेगा।
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शास्त्रों में समय के महत्व को समझने पर जोर दिया है।
और गुरुजनों ने समय के उस पार देखने की क्षमता।
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गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागूँ पाँय।
बलिहारी गुरु आपणी गोविंद दियो मिलाय।
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गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वराय।
गुरुरसाक्षतः परम् ब्रह्म तस्मई श्री गुरुवे नमः।
😊🙏
वक़्त और ज़िन्दगी उनके शानदार होते हैं जिनके पास सुयोग्य शिक्षकों का सानिध्य प्राप्त होता है।
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चॉकलेट खिलाओ मत खिलाओ लेकिन अपने शिक्षकों के प्रति आस्था और श्रद्धावनत जरूर रहो।जो अपने गुरुजनों का सम्मान करते हैं वही लोग समाज के विकास में सहायक होते हैं। ऐसे लोग कभी किसी का अहित भी नहीं करते।
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जय श्री कृष्ण.....😊😊🙏
#पाठकपुराण
#teacher's day
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