मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
आज कल और हमेसा से ही
इसलिए नही की तुम भी मुझे
उतना ही प्रेम करो और अपने
स्वयं के उद्देश्य भूल....
मेरे मोह पास में फंसकर
अपने आप को गुलाम बनालो !
हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...
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