💠 'अतीत के पन्ने' 💠
राजस्थान के गौरवशाली अतीत का श्रेय गुहिल वंश को जाता है।इन्हें गुहिलोत,गोमिल,गोहित्य,गोहिल के रूप में भी पुकारा गया है।गुहिल जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय माने गए।उनकी पहचान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं किन्तु महाराणा कुम्भा ने ढेर सारी छान-बीन के बाद अपने वंश के लिए स्पष्ट रूप से ब्राह्मण वंशीय होना अंकित करवाया था।बारहवीं शताब्दी के पहले किसी भी लेखक,कवि,या साहित्यकार ने उन्हें सूर्यवंशी नहीं लिखा।सूर्यवंशी लिखने की परिपाटी "चित्तोड़" के 1278 ई. के लेख के आसपास अपनाई हुई लगती है।
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कैप्शन--🗡
💠💠💠💠💠💠💠💠 टॉड ने विवरण दिया कि- 524 ई.में वल्लभी का राजा शिलादित्य विदेशी आक्रमणकारियों से युद्ध करते समय परिवार सहित मारा गया उस दौरान उनकी गर्भवती धर्मपत्नी पुष्पावती 'अम्बाभवानी' तीर्थ पर गई थी जो बच गई और गुहदत्त (गोह) को जन्म दिया।
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गुहिल को जन्म देने के बाद रानी पुष्पावती अपने पुत्र "विजयादित्य" ब्राह्मण को देकर स्वयं 'सती' हो गई।
गुहिल ने युवा होते ही ईडर के भील राजा को मारकर उसका राज्य लिया।गुहिलों की सत्ता का प्रारंभिक केंद्र "नागदा" था जो कालांतर में 'चित्तौड़' हो गया।
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डॉ. गोपीनाथ शर्मा ने लिखा है कि- 1869 ई.में 'आगरा' के पास 2 हजार चाँदी और 9 ताँबे के सिक्के मिले जो यह प्रमाणित करते हैं कि गुहिलों का एक बड़ा और स्वतंत्र राज्य था।यह सिक्के रोशन लाल सांभर के संग्रह में रखे हुए हैं।डॉ. ओझा गुहिलों के समय को 566 ई.के आसपास का मानते हैं।
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गुहिलों के उत्तराधिकारियों के बारे में सटीक तो अभी तक पता नहीं चला पर कुछ साक्ष्य बताते हैं कि- शील,अपराजित,भर्त्तभट्ट,अल्लट, नरवाहन, शक्तिकुमार,विजयसिंह,और नागादित्य आदि उनके उत्तराधिकारी थे।
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कर्नल टॉड ही लिखता है कि- गुहिलों की आठवीं पीढ़ी में नागादित्य हुआ जिसे भीलों ने मारकर अपना ईडर राज्य बापस ले लिया किन्तु आगे चलकर नागादित्य का पुत्र "बाप्पा" एक शानदार योद्धा निकला जिसे इतिहास- बप्पा,बप्पक,बाप्प,बापा-रावल के नाम से पहचानता है।
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"बापा रावल" के बारे में आगे लिखेंगे आज के लिए इतना ही काफी है बने रहिये #पाठकपुराण के साथ #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1 देखिए पढ़िए आप सभी का स्वागत है।
#सुप्रभातम #yqdidi #yqbaba #yqhindi
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