मैं रंग दूं तुम्हें इश्क के गुलाल से
तेरे गोरे गालों को रंग दूं लाल से
आओ जरा मेरे साथ तुम खेलो
मैं रंग डालूं प्यार भरे एहसास से
मैं अपनेपन का रंग मिलाकर
अब ज़ज़्बातों को एक करें हम
जो शिक़वे गिले दिलों में पनपे
अब आओ मन से दूर करें हम
होकर मतवाले हम झूमें प्यार से
आओ रंग डालूं मैं तुमको
छुप करके मत बैठे गोरी
मत बन कर बैठे तू भोरी
तन मन मेरे रंग में रंगजा
होली में तू मेरी बन जा।
मार कोई पिचकारी छोरी
मुझको अपने प्रेम से रंगजा ।
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ऐसी मारी उसने पिचकारी
मैं अपना दिल गई हारी !
दईया रे दईया रंग डारी
मैं पूरी ही रंग डारी !
मैं तो जोगन बन बैठी हूँ
सब सुध बुध अपनी हारी !
प्यारी सी चितवन श्याम जू
मैं हो गई हूँ बलिहारी !
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तन पर रंग लगाया तुमने
मन मेरा रंगीन किया
आँखों को मेरी इक उम्दा
उड़ता उड़ता ख़्वाब दिया !
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आज धूल माटी से खेली खेली कीच ग़ुलाल से
कल लेकर के यारा आना तुम रंग क़माल के ।
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लाल रंग बलिदानी लाना हरा रंग खुशहाली का
श्वेत रंग पावनता तेरी,पीला भक्ति उदारता !
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नीला गहराई है मन की काला शक्ति प्रधानता
प्रेम रंग में होकर के गुलाबी
जीवन की अभिलाषाओं को
रंग बैंगनी मानना ।
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