Friday, March 20, 2020

ख़ुदरंग मोहब्बत

वह दौड़कर आई और मेरे  दोनों गालों को रंग कर चली गई।
उस गुलाल की महक मेरी सांसो को महका रही है।
आज होली का पहला दिन है और वह मुझे बहका रही है।
उसकी यह ख़ुदरंग मोहब्बत मुझे
जाने कबसे अपना बना रही है ।
मन ही मन चाहने लगी थी वह जाने कबसे? सपने सजा कर बैठी थी कल के लिए उसके साथ जिसे मालूम ही नहीं कभी मुलाकात होगी भी या नहीं?
यह मोहब्बत है खुद रंग मोहब्बत अगर दिल से की जाए तो सारी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है।
इस बार होली पर कुछ ऐसा ही हुआ-------
क्रमशः--01

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