Saturday, March 28, 2020

ज़िन्दगी का तराना

नमस्कार!
टीम 'गुलिस्ताँ' सुनाती हैआपको-
"ज़िन्दगी का तराना"
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
"ज़िन्दगी का तराना,जब भी हो गुनगुनाना!

मेहनत और हिम्मत के गीतों से सजाना।

मुमकिन नहीं हैं,आसाँ भी न इतनीं कि-

मंज़िलें मस्तमौला,मुश्क़िल है निभाना।

कोशिश के तीरों को तरकश में रखना।

फिर धैर्य और साहस से लक्ष्य मनाना।

जीवन के सागर में भँवर जब मिलेंगें। 

मिलेगा किनारा- कि हौंसलों को जगाना।

ज़िन्दगी का फ़साना कभी उदास कभी थोड़ा शायराना।

कभी तैरना है डूब कर इसमें,तो कभी किनारा है बनाना।

मुश्किलें बेइंतेहा आती हैं मंज़िल के हसीं रास्तों में-

कभी यहाँ खुशी की मरम्मत कि ग़म को है छुपाना।

कोशिश करो तुम हर रोज़ कुछ नया सीखने की,

कि अगले दिन तुमको पुराना कर देगा नया ज़माना।

ज़िन्दगी का फलसफा तो बारिश की बूंदों से सीखो प्यारे!

यूँ अम्बर से ज़मीन पे गिरना और मिट्टी में मिल जाना।

कुछ औऱ भी मकसद हो ज़िन्दगी का तो कुछ बात है!

वरना सब इनके पीछे हैं- कपड़ा,मकान औऱ आबोदाना।

हकीकत में रहकर ही सपनों को सजाना।

मंज़िल के लिए ज़रूरी है कदम बढ़ाना।

ज़िन्दगी लेगी इम्तेहान हर एक मोड़ पर,

मग़र ऐसे हालातों में तुम न घबराना।

किनारा कर लेना हर निराशावादी सोच से,

आशाओं की किरणों से रास्तों को सजाना।

मुश्किल है माना यह सफ़र क़ामयाबी का-

कोशिश के दम पर तुम अपना मुक़ाम पाना।

ज़िंदगी के हर दौर में मिला इक नज़राना 

करता रहा कोशिश बेइंतिहा,बुनता गया फसाना।

अरमान था मुश्किलों को चीरकर,बुलंदियों को छू जाऊँ!

काँटो भरी राह में भी,वक्त ने सिखाया मुस्कुराना।

मंज़िल की राह में भटका मैं,जैसे हो बेगाना सफ़र!

शायद चाहता था ख़ुदा मुझे इस तरीके से आज़माना।
 
दौर ऐसा भी आया कि,अपनों ने किनारा कर लिया!

मग़र मिली सफलता,कि जीवन की गहराइयों को मैंने जाना।।

जब भी नए सिरे से जिन्दगी को हो सँवारना!

मुश्किल होगी मगर ऐ इंसान!तू कभी न हारना।

कोशिश सभी करते हैं अपने हालात बदलने की-

पर कैसे मुमकिन है सब मुसीबतों से लड़ जाना!

मुश्किल है किस्मत एक रात में बदल पाए-

कि मझधार में फँसे को भी संभव,किनारे का मिल जाना।

सपनें पूरे करने के लिए ज़रूरी,उम्मीदों की अग्नि भी!

हो लगन सच्ची तो मुमकिन है गगन का क्षितिज छू जाना।

ज़िन्दगी का फ़साना,जब हो बतलाना ,

थाम लो धड़कनें और फ़िर जुट जाना!

कोशिश अगर तुमने की टूटकर तो,

मुश्किल कहाँ!कोई किनारा छूट पाना।

तय करनी अगर,तुमको मंज़िल सुनो फिर!

चलते चलते सफ़ऱ में,न कभी डगमगाना।

रास्ते में कईं तुमको पत्थर मिलेंगे-

लाँघना तुम उन्हें,लेकिन ठोकर न खाना।

ज़िन्दगी का तराना,जब भी हो गुनगुनाना!

मेहनत और हिम्मत के गीतों से सजाना।"
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
कविवृन्द- shelly jaggi
Divyanshu pathak
dheerika sharma
Vishal vaid
Shaina ansari
Pragati k.shrivastava
 
🌹हम लिखते रहेंगें🌹
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