Thursday, April 16, 2020

दिल कहता है

तेरी पायल की रुनझुन में,शब्द हमारे मौन हुए।
घायल होकर तरकश टूटा,तीर हमारे गौंण हुए।
कत्थई आँखों की कटार से,तुम जीते हम हारे!
एकलव्य बन गए हम उस क्षण,
तुम जैसे ऋषिवर द्रोण हुए।

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भावों की मुट्ठी।

 हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...