जब आएंगे तूफ़ान तू डरना नहीं
तेरी कश्ती ख़ुशी से सम्हालूंगा मैं
डगमगाते डगों से डगर नाप कर
तेरे ख़्वाबों को अपना बनालूँगा मैं !
तेरे दिल में जो गहरा समंदर छुपा
नाव जीवन की उसमें बहा लूंगा मैं
थामकर तेरी नौका की पतवार को
पार एक दिन किनारे लगा लूंगा मैं !
नाव जब भी किनारे से लग जायेगी
एक प्यारा सा घर फ़िर बनालूँगा मैं
तुम रहोगी बनकर उसकी शोभा
तेरे सपनों से उसको सजा लूंगा मैं !
सींचकर प्यार से पौध आँगन में लगी
मेरे आँगन में फुलवारी खिलाऊंगा मैं
जब निकलेंगी कलियाँ मोहब्बत भरी
तेरा गजरा उन्हीं से बनाऊंगा मैं !
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