तेरी प्यारी बातों पे मुस्कुराता हूँ मैं
सुबह होते ही तुझे गुनगुनाता हूँ मैं !
आज कल और कल की बेहतरी में
तेरा नाम लेकर के उठजाता हूँ मैं !
हे कृष्ण
ज्ञान प्रेम विज्ञान सांख्य का
तू ही तो उन्नायक है
धर्म कर्म वैराग्य योग का
तू ही तो अधिनायक है !
:
हे कृष्ण
तेरी वंसी की धुन को
इन हवाओं में पाता हूँ मैं
देख तेरे जीवन का दर्पण
स्वयं से जुड़जाता हूँ मैं !
No comments:
Post a Comment