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भावों की मुट्ठी।
हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...
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जातियाँ ( समय के गर्त में और गर्भ में ) 1. राजपूत 🗡🏹 वेद,उपनिषद,स्मृति और हमारे प्राचीन ग्रंथों में 'जाति' को प्राथमिकता नहीं दी ग...
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'विश्वगुरु' बनने का ख़्वाब देखती मेरे देश की नई पीढ़ी को दिशा देने के लिए अभी बड़े सुधार की ज़रूरत है। हमें उनको बताना होगा कि- शान्ति, ...
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मैं तुमसे प्रेम करता हूँ आज कल और हमेसा से ही इसलिए नही की तुम भी मुझे उतना ही प्रेम करो और अपने स्वयं के उद्देश्य भूल.... मेरे ...
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