अबतो दया करो कुछ बादल
नभ से थल तक है जल ही जल !
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मिट्टी के घर धसक रहे हैं
पत्थर के दिल दरक रहे हैं
सह में बच्चे सिसक रहे हैं
अपनी मां से चिपक रहे हैं
घर में बाकी दाल न चावल !
अब तो ......
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खतरे के निशान के ऊपर
नदी बहरही सागर बनकर
डूबी फसलें राह खेत घर
आधा डूबा बूढ़ा पीपल !
अबतो दया...
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