Thursday, January 30, 2020

अब तो दया करो कुछ बादल

अबतो दया करो कुछ बादल
नभ से थल तक है जल ही जल !
:
मिट्टी के घर धसक रहे हैं
पत्थर के दिल दरक रहे हैं
सह में बच्चे सिसक रहे हैं
अपनी मां से चिपक रहे हैं
घर में बाकी दाल न चावल !
अब तो ......
:
खतरे के निशान के ऊपर
नदी बहरही सागर बनकर
डूबी फसलें राह खेत घर
आधा डूबा बूढ़ा पीपल !
अबतो दया...
:
टूटी जामुन आम की शाख़ें
आशाओं की भीगी आंखे
घायल 'पंछी' बोझिल पाँखें
गाय रम्हाये बछड़ा काँखे
मंद हुई जीवन की हलचल !
अब तो दया......
:
ज्वर शर्दी जुक़ाम की पीड़ा
महँगी दवा दाम की पीड़ा
छूटे काम तमाम की पीड़ा
समझो भूंखे राम की पीड़ा
गिरवी है चांदी की पायल
अब तो दया .....

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