धरती मां ये झूम के बोली मस्त गगन को चूम के बोली
चली पवन पुरवाई रेे कैसी ऋतु ये बसंती आई !
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चली पवन पुरवाई रेे कैसी ऋतु ये बसंती आई !
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विद्या दायिनी माँ मुझे सात्विक ज्ञान दे
दूर कर मन का अंधेरा मुझ पर उजाले वार दे !
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बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं आपको
आप के जीवन में सदाबहार बसंत खिलता रहे
उल्लासित हो हर समाज और हृदय में प्रेम फ़लता रहे !
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