कर्म मर्म के भेद जान कर
मैं कुछ दिन जीने आया हूँ !
जो क़िरदार अधूरे से हैं
मैं पूरा करने आया हूँ !!
तरण तनूजा तरुवर बनके
मैं दीन हेतु हित साधन हूँ !
मैं बीहड़ की बंजरता में
उर्वरक मिलाने आया हूँ !!
इक दिन बंजरता बीहड़ की
मैं खेत बनाकर मानूंगा !
बीज रोपकर अपनेपन का
अपने सा सबको जानूँगा !!
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