तेरे साथ बैठ कर सुबह होने का इंतजार करूँ
निहारूँ रात भर सितारों को और चाँद से बात करूँ !
जो भी ख़्वाहिशें हैं खुश रहने की मुझे इस जीवन में
हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...
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