Thursday, January 30, 2020

तेरा ख़्याल आया

दूरी ने कर दिया है तुझे और भी क़रीब
तेरा ख़याल आया और हम पहचान गए !

मुझे तुझमें कुछ तो लगता है अज़ीज़
जब भी तुमने कुछ कहा हम मान गए !

इश्क़ है ये या कुछ और हम नही जानते
तेरी आँखों में देखा और हम जान गए !

जब भी कोशिशें की हैं दूर होने की
ये बड़ा ग़ज़ब है कि आप बुरा मान गए !

तमाम उम्र साथ जीने के ख़्वाब सजाये है
ख़्वाब पूरे भी होते है हम हक़ीक़त मान गए !

ये दिल अपने आप कहता है कि वह तुम हो !
जो ख़यालों में अक़्सर मेरे रहता है वह तुम हो !
:
समंदर सी आंखों में तेरी जो मछलियां दिखती हैं !
पकड़ लूं उन्हें पर कोई रोकता है जैसे वह तुम हो !

No comments:

Post a Comment

भावों की मुट्ठी।

 हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...