Saturday, February 29, 2020

महाशिवरात्रि

इन चरणों में फूल चढ़ाएं
दीप जलाएं आरती गाएं
जब भी तेरे दर पर आएं
हम मन वांछित फल पाएं
मेरे स्वामी अंतर्यामी
इतनी दया रखना शुभकारी
शिव शंकर नमामि शंकर !
💕😊 सृष्टि कल्याण के स्रोत भगवान शिव के विवाह दिवस #महाशिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 💕🌹🌺🌺🌹🌹🌹🌺🌺🌺
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हे शिव शंकर त्रिशूल धारी
हम हैं युगों से तेरे पुजारी
जीवन में कभी हम ना हारें
इतनी दया करना त्रिपुरारी
शिव शंकर नमामि शंकर !

तेरी जटा में गंगा विराजे
सर्पों की माला गले में साजे
हाथ में डम डम डमरू बाजे
तीनो लोक झुके तेरे आगे
तेरी महिमा अजब निराली
शिव शंकर नमामि शंकर !
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हमारे सनातन धर्म में देवों के देव महादेव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि वही परम पुरुष हैं और प्रकृति के स्वामी।
भगवान शिव ही सूर्य हैं और उनकी जटाएं किरणों के रूप में संपूर्ण जगत को प्रकाशित करतीं हैं ।उन्हीं के मस्तक पर चन्द्र है और आकाश में नज़र आती गंगा भी ।
संध्याकाल में जब आप अकेले बैठे हो आसमान की तरफ देखिए 'sunset' आपको उनकी अनुभूति जरूर होगी वह संपूर्ण ब्रह्माण्ड में समाहित हैं ।
मैं जगत पिता भगवान शिव को प्रणाम करता हूं और
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया !
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् !!
की कामना करता हूं ।
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महाशिवरात्रि मनाने के कारणों में से एक शानदार कारण मुझे स्वामी दयानंद सरस्वती का बोध दिवस याद आ गया ।
मित्रों मैंने सुना है और पढ़ा है कि स्वामी दयानंद सरस्वती के माता-पिता बहुत शानदार शिव भक्त थे हर साल की तरह इस वर्ष भी वह महाशिवरात्रि बड़े मनोयोग से मना रहे थे।
वह बड़े खुश थे कि इस बार उनका पुत्र "मूलशंकर" भी महाशिवरात्रि का व्रत एवं जागरण में उनके साथ है।
संध्या कालीन बेला में सभी ने घर के मंदिर में पूजा अर्चना की और रात्रि जागरण हेतु वहीं पर विश्राम करने लगे सभी लोग धर्म चर्चा में लगे हुए थे कुछ वक्त गुजरा और नींद आने लगी धीरे-धीरे करके सभी लोग सो गए लेकिन "मूलशंकर" को अभी भी नींद नहीं आ रही थी ।
वह तो शिवलिंग को एकाग्र होकर देख रहे थे तभी अचानक से एक चुहिया आई और शिवलिंग पर उछलकूद कर प्रसाद को खाने बिगाड़ने लगी ।
मूलशंकर यह देखकर अचंभित हो गए और विचार करने लगे कि पिताजी कहते हैं कि ये शिव सृष्टि के सञ्चालन कर्ता हैं किन्तु एक छोटी सी चुहिया को भगा नहीं सकते ये तो बड़ा अजीब है ।
अब उनके मन में एकसाथ कई प्रश्न उठने लगे ।
हम कैसे भगवान की पूजा करते हैं जो स्वयं एक चुहिया को नही भगा सकता ?
हमारी रक्षा कैसे करेगा ?
सोचते सोचते सुबह हो गई ।इस घटना ने उनके मन में ऐसी छाप छोड़ी जो उनके चिंतन का कारण बन गई ।
तभी परिवार ने मृत्यु भी देखी तो विरक्ति पैदा हो गई और वे घर छोड़कर चल दिये ।
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और इन घटनाओं ने उन्हें वैदिक ज्ञान की ओर अग्रसर कर दिया ।
वो मूर्ति पूजा और उस दौर के पाखण्ड का विरोध करने लगे ।तत्कालीन परिघटनाओं और बिडंबनाओ को देखा समझा और 'वेदों की ओर लौटो' यह वाक्य दिया ।
स्त्रीशिक्षा के स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर भी शानदार प्रयास किये ।
उन्होंने "सत्यार्थ प्रकाश" लिखा और #आर्यसमाज" की स्थापना कर भारतीय मनीषियों में एक और महर्षि दयानंद सरस्वती के रूप में प्रतिष्ठित हुए ।
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मुगलों के बाद अंग्रेज़ो द्वारा परम्पराओं ध्वस्त कर जो कुछ जीवन भारतीय सभ्यता को प्रभावित कर अशिक्षा का प्रभाव बढ़ रहा था मूर्ति पूजा कर्मकाण्ड और अंधविश्वास के पसरते पैरों को स्वामी जी ने अंतिम स्वांस तक काटने का प्रयास किया ।
मैं उनको सत सत नमन करता हूँ ।
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😊
शिव की महिमा अपरंपार है इसलिए समझने की कोशिश करना उस दौर में "मूर्तिपूजा" का विरोध होना आवश्यक था इसलिए स्वामी दयानंद को उन्होंने चुना ।
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😊
मैं आर्यसमाज को स्वीकार करता हूँ तो अपनी संस्कृति और परम्पराओं से भी नेह रखता हूँ।
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😊💕😊💕💕🍁🍁🍁🙏🙏💕🍁🍁🙏🙏💕☕☕
आपको मेरी पोस्ट कैसी लगी बे ज़िझक कहिए क्योंकि मैं जानता हूँ मेरी पोस्ट पर सभी विद्वान लोग ही आते है मंदबुद्धि नही ।
बहुत बहुत स्वागत है ....
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ये जो प्रार्थना की पंक्तियाँ है मेरी नहीं है पर बचपन से ही मैंने इन्हें गुनगुनाया है ।😊
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#पंछी
#पाठक
#हरे कृष्ण

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