भक्ति में शबरी हो जाना वात्सल्य में सूर
प्रेम बाबरी मीरा बनकर सबकुछ जाना भूल
राधा का अनुराग अनूठा विरह सहित अनुकूल
कविताएं कुण्ठित होती तो क्या मन के भाव दिखाई देते ?
पढ़कर सुनकर पाठक श्रोता फ़िर न ऐसे मुग्ध हो जाता !
अगर कवि पूर्वाग्रह करता तो क्या कोई ग्रंथ बनाता ?
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