अवरुद्ध शब्दों के झरोखे
झांकने में क्यूँ लगे हो
कण्ठ से बोलो जरा तुम
बात मन की तो सुनाओ !
वो लड़कपन की सूनामी
बह चले एक साथ हम तुम
अब मोहब्बत की लहर में
आ फसें हो तो डरो मत
आ मिलो मुझसे गले तुम
मत अभी से डगमगाओ !
जुड़ गए जब तार दिल के
अब कोई तो धुन बजाओ
है अगर उलझन कोई तो
आज तुम मुझको बताओ !
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