स्वामी दयानंद सरस्वती अपनी शिक्षा संपन्न कर गुरु विरजानंद जी के मथुरा स्थित आश्रम से विदा होकर "सत्य विद्या" का प्रचार प्रसार करने के लिए पहली बार बाहर निकले थे वह आगरा बिना रुके ही धौलपुर आये और प्रसिद्ध शिवजी के चौपड़ा मंदिर पर आकर प्रथम उद्बोधन दिया ।
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यह अपने आप में एक अनोखी घटना थी कि लोगों के सामने भविष्य का एक असाधारण इंसान खड़ा था किन्तु ये धौलपुर वाले ना ग़ज़ब हैं ।
स्वामीजी को बिल्कुल भी गम्भीरतापूर्वक नही लिया और मज़ाक़ बना दिया इसी कारण क्रुद्ध होकर वह कह गए कि #धौलपुर" में तो धूल ही धूल है और चले गए आर्यसमाज की स्थापना की और मृत्युपर्यन्त तक धौलपुर लौटकर नही आये ।
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ये धौलपुर वाले भी क़माल हैं 1947 में पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था और यहां के राजा उदयभान सिंह अपना स्वतंत्र राज्य चलाने के चक्कर में थे अलग रियासत के रूप में किन्तु धौलपुर की जनता अब भी ग़ज़ब है बैसे ही तब भी अजब थी उनके दिलों में भी आज़ादी का शोर चरम पर था इसलिए अपने राजा का ही विद्रोह कर #तिरंगा लहरा दिया ।
इतिहास में यह दिन देश के आखिरी सैनिक विद्रोह के रूप में अंकित हो गया ।
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22 फ़रबरी 1948 को तीसरा सैनिक विद्रोह धौलपुर में हुआ
1946 मुम्बई में दूसरा हुआ
1857 में पहला सैनिक विद्रोह हुआ जिसे सब जानते हैं ।
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देश का यह आख़री सैनिक विद्रोह अभी तक इतिहास के अंदर छुपा हुआ था जो इस बार निकल आया और राजस्थान GK का एक शानदार प्रश्न बन गया है ।
आपको यह जानकारी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं आपसे फिर मुलाक़ात होगी इसी के साथ नमस्कार मित्रो भाई बहनों और ...😁समझ ही गए होंगे👻👻🍫🍁🍁😁😁😁जाते जाते एक बात और -----
यह सैनिक विद्रोह तीन दिन चला और सरदार वल्लभ भाई पटेल के हस्तक्षेप से सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया उसके बाद उन लोगों पर कोर्टमार्शल की कार्यवाही हुई और धौलपुर रियासत राजस्थान में विलय हो गई ....
बहुत सुन्दर शब्द विन्यास और रोचक जानकारी
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