कैदे हयात ओ बंदे गम दोनों असल में एक है
पर मोहब्बत में कसम से हम दोनों भी एक है !
अब इबादत और इरादे मेरे बिल्कुल नेक है
मेरी धड़कन तेरी सांसे भी जन्म भर एक है !
अब मोहब्बत में जुदाई दिल नहीं सह पाएगा
मौत और बिछुड़न असल में अब तो दौनो एक है !
हम भावों की मुट्ठी केवल अनुभावों के हित खोलेंगे। अपनी चौखट के अंदर से आँखों आँखों में बोलेंगे। ना लांघे प्रेम देहरी को! बेशक़ दरवाज़े खोलेंगे...
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