Saturday, February 29, 2020

मेरी सुबह हो तुम

उनींदी आँखों से तेरा दीदार करूँ
तुम मुझे चाहो और मैं प्यार करूँ !
हर सुबह का हो यह काम मेरा
युहीं दिन की मैं शुरुआत करूँ !

तेरी ख़ुशबू शामिल हो मेरी साँसों में
तेरी मीठी सी नर्माहट महसूस करूँ
जो भी मुश्किल हो मुझे दिन भर की
हल उसको पलभर में मैं यार करूँ !
प्रातः उठकर सबसे पहले
तुम अपने बाल बनाती हो क्या ?
दरवाज़े के सामने आकर
अब भी तुम मुस्काती हो क्या ?
अपनी नींद भगाने को तुम
तब अंगड़ाई लेती थी !
चाय बनाने के चक्कर में
अब भी बर्तन खनकाती हो क्या ?
जाने कितने लम्हें गुजरे
तुमको याद नही कर पाया !
जाने कितने पल बीते पर
तुमसे बात नही कर पाया !
जीवन की आपाधापी में ये
वक़्त फिसलता जाता है !
जाने कितने अर्से गुज़रे
पर मैं नादां समझ ना पाया !

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